Article 370:- अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में एक प्रावधान था जो जम्मू और कश्मीर क्षेत्र को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। यह एक अस्थायी प्रावधान था जिसे 1949 में संविधान में शामिल किया गया था। अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर राज्य को एक विशेष दर्जा दिया और उसे अपना संविधान और झंडा रखने की अनुमति दी।
अनुच्छेद 370 (Article 370) की मुख्य विशेषताएं शामिल हैं: Article 370 Removal Date
स्वायत्तता: भारत के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू और कश्मीर को अधिक स्वायत्तता प्राप्त थी। राज्य को अपना संविधान रखने की अनुमति थी, और भारतीय संविधान का जम्मू और कश्मीर पर सीमित अधिकार क्षेत्र था।
विशेष अधिकार: जम्मू और कश्मीर के निवासी अपने स्वयं के कानूनों द्वारा शासित थे, और राज्य का अपना झंडा था। रक्षा, संचार और विदेशी मामलों को छोड़कर, राज्य को अपने स्वयं के कानून बनाने की भी स्वतंत्रता थी।
निवास कानून: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के गैर-निवासियों को राज्य में जमीन खरीदने या बसने से रोकता था। यह क्षेत्र की जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक संरचना की रक्षा के लिए एक उपाय था।
अगस्त 2019 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को रद्द करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस क्षेत्र को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित किया गया था। यह कदम संवैधानिक परिवर्तनों की एक श्रृंखला के साथ था, और इसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को शेष भारत के साथ अधिक निकटता से एकीकृत करना था। अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय था जिसके महत्वपूर्ण राजनीतिक, कानूनी और भूराजनीतिक निहितार्थ थे।
(Article 370) Dhara 370 से लोगो को क्या फायदा है
भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष विधियों को प्रदान करने वाली एक विशेष धारा थी, जो 1949 में भारतीय संविधान के अंतर्गत जोड़ी गई थी। इस धारा के तहत, जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य माना गया और इसे अपने स्वतंत्रता की शर्तों के तहत भारत संघ से शामिल किया गया था।
आर्टिकल 370 (Article 370) के तहत जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को कई विशेष अधिकार प्राप्त होते थे, जिनमें निम्नलिखित शामिल थे:
- स्थाई निवास स्थिति: धारा 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को अपने राज्य में स्थाई निवास स्थिति प्राप्त होती थी, जिसका मतलब यह था कि वहां के निवासियों को अपने राज्य से बाहर जाने या वहां पर निवास करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
- स्थाई निवासियों के लिए अधिकार: स्थाई निवासियों को कई अन्य विशेष अधिकार भी प्राप्त होते थे, जिसमें शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष प्रदान शामिल था।
- राजनीतिक स्वायत्तता: जम्मू और कश्मीर को अपना स्वायत्तता संगठन बनाए रखने का अधिकार था और वहां के नागरिकों को अपनी स्थानीय सरकार को चुनने का अधिकार था।
- धर्म, भाषा और सांस्कृतिक अधिकार: इस आर्टिकल के तहत, जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को अपनी भाषा, धर्म, और सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा का अधिकार था।
हालांकि, धारा 370 को 2019 में हटा दिया गया है, और जम्मू और कश्मीर को अनुशासनिक रूप से अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लिए भी लागू कर दिया गया है, जिससे वहां के नागरिकों को भारत के अन्य राज्यों के नागरिकों के साथ समान अधिकार मिले हैं।
आर्टिकल 370 (Article 370) कब बना था
अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का भाग 1949 में बना था। इसे भारतीय संविधान के अंतर्गत 26 नवंबर 1949 को जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष स्थान प्रदान करने के लिए जोड़ा गया था। अनुच्छेद 370 का उद्दीपन मूल रूप से भारतीय संविधान के निर्माणकाल में हुआ था ताकि जम्मू और कश्मीर को आजादी की आजादी और अन्य इलाकों में विशेष अधिकार प्राप्त हो।
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