प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही Deep Fake पर ये बड़ी बात, जानें आप भी

डीपफेक (Deep fake) एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग वीडियो या ऑडियो क्लिप को मनिपुलेट करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति को कुछ ऐसा करते या कहते हुए दिखाया जा सकता है, जिसे उन्होंने कभी किया ही नहीं। यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग से काम करती है और इसका उपयोग फिल्मों और मीडिया में विभिन्न प्रकार से किया जा रहा है।

Modi Jee Talking about Deep Fake
Modi Jee Talking about Deep Fake

लेकिन, जैसा कि हम जानते हैं, हर सिक्के के दो पहलु होते हैं। डीपफेक की तकनीक का उपयोग गलत तरीके से भी किया जा सकता है। इसका उपयोग झूठी खबरें फैलाने, लोगों को भ्रमित करने और व्यक्तिगत और राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए, यह एक बड़ी चुनौती है जिससे हमें निपटना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी है परेशान: Deep Fake से

आम जनता से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक, हर कोई इस नई ‘बला’ से परेशान है। डीपफेक की वजह से लोगों को अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, यह राजनीतिक दलों के बीच अनिश्चितता और विवाद का कारण बन रहा है।

इसलिए, हमें इस नई ‘बला’ के सामना के लिए तत्पर रहना होगा। हमें डीपफेक की तकनीक को समझने की आवश्यकता है, ताकि हम इसके प्रभावों को समझ सकें और इसे रोकने के उपाय ढूंढ सकें। हमें इसे नियंत्रित करने के लिए नीतियां और कानून बनाने की आवश्यकता है, ताकि हम इसके नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकें।

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अंत में, हमें यह समझना होगा कि तकनीकी उन्नति हमारे लिए एक उपकरण है, और हमें इसका उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। हमें इसे सही तरीके से उपयोग करना होगा, ताकि हम इसके लाभ उठा सकें और इसके नकारात्मक प्रभावों से बच सकें।

जानें आखिर क्या है Deep Fake:

डीपफेक वीडियो और ऑडियो दोनों आजकल बहुत चर्चा में हैं. इन्हें बनाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल होता है. इसके जरिए किसी के चेहरे को दूसरे के चेहरे पर चिपका दिया जाता है या फिर किसी की आवाज को नकल कर दिया जाता है.

आपके जानने वाले लोगों की आवाज को नकल करके एआई की मदद से उसका क्लोन बनाया जाता है, जो बिलकुल असली जैसा सुनाई देता है. Deep Fake वीडियो को देखकर लगता है कि यह मॉर्फ वीडियो का ही एक advance version हैं.

सरकार के द्वारा उठाए गए ये कदम:

सरकार ने डीपफेक वीडियो के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. अगर कोई भी व्यक्ति डीपफेक वीडियो बनाकर उसे फैलाता है, तो उस पर कड़ी सजा हो सकती है. उसे तीन साल तक जेल भी हो सकती है और उसे एक लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

जानें आखिर कहां उपयोग होता है, ये Deep Fake?

Deep Fake का इस्तेमाल झूठी खबरें फैलाने या किसी के साथ धोखाधड़ी करने के लिए किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, किसी नेता का झूठा वीडियो बनाकर उसमें कुछ ऐसा दिखाया जा सकता है जो उन्होंने असल में कभी नहीं कहा.

असली और नकली वीडियो को पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन आप अपनी समझदारी और सूझबूझ से झूठे वीडियो को पहचान सकते हैं. वीडियो में आँखों की हरकत, आवाज, चेहरे के अभिव्यक्ति जैसी चीजों पर ध्यान दें. अगर आपको इनमें से कुछ भी अजीब लगता है तो हो सकता है कि वीडियो डीपफेक से बनाई गई हो.

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